हम तुम (हिंदी कविता )

बहोत कुछ है दिल के
अंदर बताना चाहता हु मै
मुझे मालूम है ये ना 'तेरी
मगर मेरी ही जरूरत है
   
न शिकवा है तुझसे कोई
ना तुझसे कोई शिकायत है
बुला कर भी ना आना
तेरी तो पुरानी आदत है


'तेरी आदतो से हु वाकीफ
अब तुझे पहचनता हु मै
अगर ठान ली जो तुमने
लौट आना तो बहोत दूर
पलट कर ना तुम देखोगे .

माना की तेर इश्क मे
मश्गुल आज भी है हम
मगर हकीकत से मूह मोडना
मेरी फ़ितरत मे नही है

तुझे मुबारक 'तेरी दुनिया मे
सदा आबाद रहोगे तुम
मेरी बरबादी को कभी भी
गलती से याद मत करना.

कोई उनको जा के ये
मेरा पैगाम यादसे दे देना
कही दिख जाये शरह मे
तो नजर अंदाज कर देना.


एक बार आखे मिलाने की
सजा भूगत रहे है हम
ताउमर जिंदगी इसीसे सजानी है
'तेरी इश्क की मेरे पास
यही तो आखरी निशानी है.

निनाद.

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